नगर निगम के विकास कार्यों पर उठे सवाल, नगर आयुक्त ने गठित की जांच समिति – Parwatiya Sansar

नगर निगम के विकास कार्यों पर उठे सवाल, नगर आयुक्त ने गठित की जांच समिति

नगर निगम में विकास कार्यों की सूची को लेकर उठी आपत्तियों के बाद नगर आयुक्त महोदया ने सख्त कदम उठाते हुए जांच समिति का गठन कर दिया है। मामले की गंभीरता को देखते हुए नगर आयुक्त ने तत्काल प्रभाव से अधिशासी अभियंता से समस्त चार्ज हटाकर उन्हें सम्बद्ध कर दिया है।

वहीं नगर आयुक्त महोदया के साथ कथित दुर्व्यवहार के मामले को लेकर नगर निगम कर्मचारी संघ ने संयुक्त रूप से कड़ा विरोध जताया है। कर्मचारी संघ ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ अभद्रता किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

नगर निगम प्रशासन ने विकास कार्यों में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से नई नियमावली तैयार करने का निर्णय भी लिया है। जानकारी के अनुसार प्रथम बोर्ड अधिवेशन में प्रत्येक वार्ड के लिए 35-35 लाख रुपये के विकास कार्य स्वीकृत किए गए थे। इसके अतिरिक्त वर्तमान में महापौर निधि से प्रत्येक वार्ड को 20-20 लाख रुपये के विकास कार्य पार्षदों के प्रस्तावों के आधार पर स्वीकृत किए गए हैं। साथ ही क्षेत्रीय विधायकों से प्राप्त प्रस्तावों पर भी आगणन तैयार कर निविदाएं प्रकाशित की गई हैं। चूंकि ये कार्य महापौर निधि से प्रस्तावित हैं, इसलिए इन्हें वार्ड स्तर के बजाय सम्पूर्ण शहर की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर किए जाने की बात कही गई है।

नगर निगम में कुछ कथित पूर्व कार्यों के अभी तक पूर्ण न होने की शिकायतों पर भी नगर आयुक्त ने जांच समिति गठित कर दी है। सहायक अभियंता के अनुसार नगर निगम परिसर में महिलाओं के लिए शौचालय निर्माण, टाउन हॉल में रेट्रो फिटिंग, ब्रिक वर्क, वायरमेश प्लास्टरिंग, मुख्य भवन की छत पर ग्राउटिंग जैसे कार्य प्रस्तावित हैं। कार्यालय परिसर की रंगाई-पुताई जुगमंदर हॉल निर्माण के बाद कराई जाएगी। वहीं मुख्य द्वार का निर्माण 9 दिसंबर 2025 को नगर निगम के 27वें स्थापना दिवस पर मुख्यमंत्री के आगमन को देखते हुए सुरक्षा कारणों से तात्कालिक रूप से कराया गया था। कुछ कार्य त्रुटिपूर्ण निविदा सूची में जुड़ जाने के कारण अब संशोधित निविदा सूची जारी की जाएगी।

राजनीतिक स्तर पर भी नगर निगम में असहमति के सुर उभरते नजर आ रहे हैं। सत्ता पक्ष के पार्षदों में ही दो गुट बनने की बात सामने आई है। वहीं कांग्रेस पार्षदों ने विकास कार्यों के आवंटन में न्याय न होने का आरोप लगाया है। हालांकि कांग्रेस की ही पार्षद संगीता गुप्ता (वार्ड 35, सुमन नगर) के वार्ड में अब तक 70 लाख रुपये के विकास कार्य हो चुके हैं।

कर्मचारी महासंघ ने आरोप लगाया है कि कुछ पार्षद राजनीतिक हितों के लिए अनावश्यक मुद्दे बनाकर अधिकारियों पर दबाव डाल रहे हैं और अभद्र व्यवहार कर रहे हैं। संघ का कहना है कि सफाई कर्मियों, टैक्स संग्रहण कर्मचारियों, यूजर चार्ज वसूली से जुड़े स्वयं सहायता समूहों और अतिक्रमण हटाने वाली टीमों के साथ भी आए दिन दुर्व्यवहार और धमकी की घटनाएं सामने आती हैं।

कर्मचारी महासंघ ने सवाल उठाया है कि जब नगर निगम के अधिकारी और कर्मचारी लगातार दबाव और दुर्व्यवहार झेलते रहेंगे तो शहर की व्यवस्था कैसे सुधरेगी। अंततः नगर आयुक्त महोदया ने कर्मचारी संघ के पदाधिकारियों से वार्ता कर जनहित को ध्यान में रखते हुए कार्य बहिष्कार समाप्त कर पुनः काम पर लौटने की अपील की, जिसके बाद हालात सामान्य करने की कोशिश की जा रही है।





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