NARI 2025 की रिपोर्ट पर उठे सवाल, उत्तराखंड महिला आयोग की अध्यक्ष ने लगाया छवि धूमिल करने का आरोप – Parwatiya Sansar

NARI 2025 की रिपोर्ट पर उठे सवाल, उत्तराखंड महिला आयोग की अध्यक्ष ने लगाया छवि धूमिल करने का आरोप

देश में हाल ही में नेशनल एनुअल रिपोर्ट एंड इंडेक्स ऑन वूमेन सेफ्टी (NARI 2025) की रिपोर्ट जारी हुई. रिपोर्ट में सभी राज्यों के शहरों के महिला सुरक्षा को लेकर सर्वे किए जाने की बात कही गई है. जिसमें उत्तराखंड का देहरादून शहर भी टॉप टेन लिस्ट में शामिल किया गया. बताया गया है कि देहरादून महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं है. लेकिन अब इस रिपोर्ट पर उत्तराखंड राज्य महिला आयोग ने न केवल सवाल खड़े किए हैं, बल्कि इस रिपोर्ट को एक निजी संस्थान की रिपोर्ट भी बताया है. उन्होंने कहा कि इस तरह की रिपोर्ट से राजधानी समेच उत्तराखंड की छवि धूमिल हो रही है.

उत्तराखंड राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल ने कहा कि देहरादून, महिलाओं के लिए हर तरह से सुरक्षित शहर है. देहरादून को महिला सुरक्षा के लिहाज से असुरक्षित बताने वाली रिपोर्ट, निजी संस्था ने बिना अधिकारिक डेटा इस्तेमाल किए एक छोटे से सैंपल सर्वे के आधार पर जारी की है. इसका सरकार या महिला आयोग से कोई लेना देना नहीं है.

आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया है कि नेशनल एनुअल रिपोर्ट एंड इंडेक्स ऑन वूमेन सेफ्टी की रिपोर्ट, एक निजी कंपनी का आयोजन है. इसका केंद्र और सरकार या राष्ट्रीय और राज्य महिला आयोग से कोई लेना देना नहीं है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष विजय रहाटकर, इस रिपोर्ट को जारी किए जाने वाले कार्यक्रम में वो खुद मौजूद तो थीं, लेकिन लेकिन ये रिपोर्ट या सर्वे आयोग के द्वारा तैयार नहीं की गयी है. उन्होंने बताया कि 31 शहरों में मात्र 12 हजार 770 महिलाओं के सर्वे के आधार पर रिपोर्ट तैयार की गई है. यही सर्वे के हलके पन को दर्शाता है.

अध्यक्ष कुसुम कंडवाल ने कहा कि पुलिस समेत सभी विभाग इस दिशा में निरंतर प्रयास कर रहे हैं. राज्य की बेहतर कानून व्यवस्था के चलते ही महिलाएं, देहरादून समेत पूरे प्रदेश में सुरक्षा भाव के साथ कहीं भी आ जा सकती हैं. उन्होंने बताया कि आयोग ने रिपोर्ट जारी करने वाली संस्था से सर्वे का मानक और इसके तरीकों की जानकारी मांगी है.

उन्होंने बताया कि उनकी राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष विजय रहाटकर से फोन पर बात हुई है. उनका कहना है कि राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा ऐसा कोई सर्वे नहीं कराया गया है. कंडवाल ने कहा कि इस तरह के सर्वे से राज्य की छवि धूमिल हुई है, क्योंकि यहां ना केवल पर्यटक बल्कि बाहर से छात्र भी पढ़ने के लिए आते हैं.





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