सीएम पुष्कर सिंह धामी सरकार के अफसरों के पसीने छूट रहे है। 13 में से चार जिलों में सरकार पूरी तरह से फिसड्डी साबित हुई है। ऐसे में अब यह सवाल उठ रहा है कि सरकार की ओर से तय लक्ष्य कबतक पूरा हो पाएगा। उत्तराखंड में मोटा अनाज खरीदने में अधिकारियों-कर्मचारियों की हालत अभी से पतली होने लगी है।
हालत यह है कि चार पर्वतीय जिलों में मोटे अनाज का एक भी दाना नहीं खरीदा गया है। चौलाई झंगोरा और सोयाबीन की खरीद तो किसी जिले में शुरू ही नहीं हुई है। जबकि खरीद शुरू हुए 20 दिनों से ज्यादा का समय बीत गया है। ऐसे में खरीद का लक्ष्य पूरा करना अफसरों के लिए बड़ी चुनौती होगी। राज्य में मोटे अनाज को प्रोत्साहित करने के लिए मिलेट मिशन योजना की शुरुआत की गई है।
योजना के तहत राज्य में मोटे अनाज की खरीद के लिए दस जिलों में 266 केंद्र बनाए गए हैं। एक अक्तूबर से खरीद शुरू हो गई, लेकिन अब तक नैनीताल, चमोली, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी चार जिलों में एक भी किसान अपने उत्पाद बेचने केंद्र पर नहीं पहुंचा है। बाकी छह जिलों में भी बीस दिन बीतने के बाद महज 334.23 कुंतल मडुवा ही खरीदा जा सका है।
जबकि प्रदेशभर में एक लाख 65 हजार कुंतल मडुवा खरीदने का लक्ष्य निर्धारित है। मिलेट मिशन के तहत मडुवे का समर्थन मूल्य भी बढ़ाकर 38.46 रुपये प्रति किलो किया गया है। ऐसे में खरीद का लक्ष्य पूरा होने की संभावना कम दिख रही है। बीते वर्ष भी प्रदेश में 96 हजार कुंतल मंडुवा खरीदने का लक्ष्य रखा गया था, जिसके सापेक्ष महज 14091.33 कुंतल की खरीद हो पाई थी।