उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार जल्द ही उत्तराखंड में मदरसा बोर्ड को खत्म करने जा रही है. ऐसा करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन जाएगा, जहां पर अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थान अधिनियम बनने जा रहा है. इसके तहत अब सिर्फ मुस्लिम समुदाय को ही अल्पसंख्यक का दर्जा ही नहीं दिया जाएगा बल्कि, उसके साथ अन्य समुदाय जिसमें ईसाई, बौद्ध, जैन, पारसी और सिख समुदाय भी शामिल होंगे. वहीं, इस विधेयक के अधिनियम बनने से पहले जहां विपक्ष कई तरह के सवाल खड़े कर रहा है, तो मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष से लेकर बीजेपी इसे ऐतिहासिक निर्णय बता रही है.
इस अधिनियम को उत्तराखंड के गैरसैंण विधानसभा मानसून सत्र में मंजूरी दे दी जाएगी. उत्तराखंड अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थान विधेयक 2025 जैसे ही राज्य में लागू होगा, वैसे ही उत्तराखंड मदरसा शिक्षा बोर्ड का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा. हालांकि, सरकार ने ये भी स्पष्ट किया है कि राज्य सरकार का मकसद उत्तराखंड में अल्पसंख्यकों को अत्यधिक और स्मार्ट शिक्षा से जोड़ना है फिर चाहे वो मुस्लिम हों या अन्य समुदाय के लोग हों.
इस अधिनियम के बनते ही उत्तराखंड अन्य राज्यों से अलग अधिनियम बनाने वाला पहला राज्य भी बन जाएगा. इस विधेयक को 17 अगस्त को कैबिनेट में लाया गया था. बैठक में इस विधेयक पर बकायदा चर्चा हुई और उसके बाद कैबिनेट ने इस पर अपनी मुहर भी लगा दी.
इसे स्वीकृति और विधानसभा में पास होने के बाद अल्पसंख्यक समुदाय के शैक्षिक संस्थानों को एक ही जगह पर लाया जाएगा. अब तक उत्तराखंड में मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम 2016 और उत्तराखंड गैर सरकारी अरबी व फारसी मदरसा अधिनियम 2019 लागू है. लेकिन इस विधेयक के पास होने के बाद यह सभी नए अधिनियम के साथ शामिल हो जाएंगे.
राज्य सरकार ने ये भी स्पष्ट कर दिया है कि अधिनियम बनने के बाद ऐसा नहीं है कि मदरसे में जो धार्मिक शिक्षा पढ़ाई जा रही है, वो नए अधिनियम के तहत अब नहीं पढ़ाई जाएगी. राज्य सरकार इस अधिनियम को अस्तित्व में ला जरूर रही है, लेकिन धार्मिक शिक्षा पर किसी तरह की कोई रोक नहीं होगी.
इतना जरूर है कि इस पर प्राधिकरण के बनने के बाद इस बात को सुनिश्चित करना होगा कि उत्तराखंड के शैक्षिक संस्थानों में खासकर अधिनियम के तहत आने वाले अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थानों में जो पढ़ाई करवाई जा रही है, वो उत्तराखंड बोर्ड के मानक के तहत हो. लिहाजा, इस पर भी निगरानी रखी जाएगी.
इस अधिनियम के बनने के बाद सभी अल्पसंख्यक संस्थानों को इस प्राधिकरण से मान्यता लेनी होगी. तभी वो शैक्षणिक संस्थान सही तरीके से चल पाएंगे. प्राधिकरण का काम सिर्फ शिक्षा की गुणवत्ता पर नजर रखना होगा. प्राधिकरण संस्थानों के कार्यों में किसी तरह का कोई हस्तक्षेप नहीं करेगा.
इसके अलावा वित्तीय मामलों की देखरेख और धार्मिक सद्भावना जैसी तमाम शिक्षा पर प्राधिकरण नजर रखेगा. इसी तरह से अभी अधिनियम जैसे-जैसे बनेगा, वैसे-वैसे इसमें और भी बारीकियां सामने आती रहेंगी. उसके अनुरूप इस पर काम किया जाएगा.
उत्तराखंड कैबिनेट की एक अहम बैठक बुलाई गई थी. मॉनसून सत्र से ठीक पहले हुई बैठक में दो मुख्य फैसलों पर ध्यान केंद्रित किया गया था. पहला फैसला यूनफॉर्म सिविल कोड को लेकर था, जिसमें समान नागरिक संहिता 2024 के तहत शादी का रजिस्ट्रेशन करना के लिए टाइम पीरियड बढ़ाया गया है. अब 26 जनवरी 2026 तक नि:शुल्क रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं. इसके साथ ही दूसरे बड़े फैसले में मदरसा बोर्ड के स्थान पर एक रेगुलेटरी बॉडी गठित की जाएगी. ये बोर्ड सभी अल्पसंख्यक समाज के संस्थानों के लिए रेगुलेटरी बॉडी का काम करेगा.